प्रयागराज । रविवार को माघ मेले के अक्षयवट मार्ग पर स्थित क्रियायोग शिविर का उद्घाटन योगी सत्यम द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। स्वामी योगी सत्यम ने क्रियायोग का शुभारंभ प्रार्थना के साथ किया : “वर्तमान समय आरोही द्वापर युग है। अब पूरी मानवजाति के भाग्य का द्वार खुल गया है। हम प्रयाग के कुम्भ मेला क्षेत्र; तीन पावन नदियों के संगम (गंगा, यमुना व सरस्वती) तट पर बैठे हैं, जहाँ प्रतिवर्ष विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समूह का आयोजन होता है। आइए! सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक राष्ट्र भारत को एक आदर्श राष्ट्र बनाये जहां किसी को डर- भय का अनुभव न हो। पावन भारत भूमि पर आध्यात्मिक शक्ति युक्त शांति का पूर्ण वातावरण बनाए, जहाँ हथियारों को बनाना, बेचना व खरीदना निंदनीय कार्य हो और सभी की सुरक्षा ईश्वरीय प्रेम से हो।”
स्वामी जी ने क्रियायोग पर प्रकाश डालते हुए आगे कहा कि मृत्युंजय महावतार बाबाजी ने अपने अति विनम्र और अध्यात्म की उच्चतम अवस्था पर आसीन शिष्य योगवातार लाहिड़ी महाशय को ‘क्रियायोग’ प्रदान किया। अब ज्ञान का द्वार खुल गया है। क्रियायोग के अभ्यास से एक ही जन्म में मनुष्य अज्ञानता से मुक्त होकर परमसत्य _(कैवल्य अवस्था)_ का दर्शन कर अनुभव करता है कि परब्रह्म स्वयं पूरे ब्रह्मांड के रूप में प्रकाशित हो रहे है। ऐसी स्थिति में स्पष्ट होता है कि मृत्यु व मृत्युलोक का अस्तित्व नहीं है, केवल जीवन, आनंद एवं अमरता का अस्तित्व है। अगर मनुष्य उपरोक्त क्रियायोग सिद्धान्त को हृदय में बैठाकर क्रियायोग अभ्यास करता है तो उसे अनुभव होता है कि कुछ भी असंभव नही है। इस अवसर पर विश्व के सबसे बड़े हाइकोर्ट (माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद) के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश श्री राजेश कुमार जी ने अपने संदेश में क्रियायोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि क्रियायोग एक पूर्ण विज्ञान है जिसकी शिक्षा को ग्रहण करने पर मनुष्य सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाते है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि गुरुदेव स्वामी श्री योगी सत्यम के सानिध्य में क्रियायोग उसी विस्तार हो प्राप्त होगा जैसे श्री परमहंस योगानंद जी द्वारा सम्भव हुआ। इस अवसर पर भारत के अनेक प्रदेशों के साथ साथ कनाडा, अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड, ब्राज़ील, यूरोप, सिंगापुर, आयरलैंड, इटली, स्कॉटलैंड, नेपाल, यूक्रेन आदि देशो के लोंगो ने भाग लिया।